राष्ट्रीय कुली मोर्चा ने रेलवे बोर्ड, रेल मंत्रालय भारत सरकार द्वारा जारी आदेश के आलोक में कुलियों/सहायकों की स्थिति की जांच कराने की मांग उठाई है। संगठन ने धनबाद रेल मंडल प्रबंधक को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि रेलवे बोर्ड ने 19 जून 2025 को सभी प्रधान मुख्य वाणिज्य प्रबंधकों को पत्र जारी कर कुलियों की परिस्थितियों की व्यापक जांच करने और सुझाव देने का निर्देश दिया था, लेकिन दो माह बीत जाने के बावजूद अब तक जांच प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। राष्ट्रीय कुली मोर्चा के समन्वयक कुअन अंसारी ने बताया कि इस पत्र में कुलियों से जुड़े नौ बिंदुओं पर सुझाव मांगे गए हैं। इनमें रेलवे स्टेशन पर चल रही ट्रॉली सेवा का निजी कंपनियों को दिए जाने का विरोध, बैटरी रिक्शा को केवल विकलांग, वृद्ध और बीमार यात्रियों तक सीमित करने, ‘माई कुली एप’ जैसे निजी एप पर रोक लगाने और यात्री सेवा केंद्र जैसी निजी व्यवस्थाओं से कुलियों के रोजगार को बचाने की मांग शामिल है।
संगठन ने कहा कि कुलियों को 2008 की तरह रेलवे की नौकरी दी जाए, उनके सुरक्षित और नियमित रोजगार की गारंटी हो, बीमा, पेंशन और अन्य सामाजिक सुरक्षा सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं। साथ ही कुलियों के परिवारजनों को रेलवे कर्मचारियों की तरह स्वास्थ्य सुविधा और बच्चों को शैक्षिक लाभ दिए जाएं। राष्ट्रीय कुली मोर्चा ने यह भी स्पष्ट किया कि इन्हीं मुद्दों पर पिछले आठ महीनों से लगातार देशभर में अभियान चलाया जा रहा है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, सांसदों और रेलवे अधिकारियों को ज्ञापन सौंपे गए हैं, यहां तक कि संसद में भी इस विषय पर सवाल उठाए जा चुके हैं। इसके बावजूद जांच की प्रक्रिया शुरू नहीं होना कुलियों के भविष्य को संकट में डाल रहा है।
मोर्चा ने मंडल रेल प्रबंधक से मांग की है कि रेलवे बोर्ड के दिशा-निर्देशों के अनुसार त्वरित जांच शुरू कराई जाए, ताकि कुलियों की आजीविका और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
