थैलेसीमिया पीड़िता संस्कृति की भावुक अपील – “मैं दूसरों के रक्त पर जिंदा हूं, आप भी करें रक्तदान”

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इंटर आर्ट्स में फर्स्ट डिवीजन लाने वाली थैलेसीमिया पीड़िता ने की रक्तदान की अपील

संस्कृति ने कहा मैं तो दूसरों के रक्त पर जिंदा हूं, इसलिए चाहती हूं कि लोग आगे आएं और रक्तदान करें, ताकि मैं अपने पढ़ाई में और आगे बढ़ पाऊं

SNMMCH पर 300 से अधिक थैलेसीमिया मरीजों की निर्भरता

Anchor :- रक्तदान को महादान यूं ही नहीं कहा गया है। एक यूनिट रक्त किसी ज़िंदगी को बचा सकता है। थैलेसीमिया जैसे गंभीर रोग से पीड़ित मरीजों के लिए तो रक्त ही जीवन है। इन्हीं मरीजों की तकलीफ को समझते हुए भूली की रहने वाली थैलेसीमिया पीड़ित छात्रा संस्कृति ने लोगों से रक्तदान करने की भावुक अपील की।

संस्कृति शनिवार को सरायढेला स्थित ओजोन गेलेरिया में आयोजित रक्तदान शिविर में विशेष रूप से शामिल हुईं। यह शिविर SNMMCH (शहीद नंदकिशोर मेमोरियल मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल) ब्लड बैंक की ओर से लगाया गया था, जिसका लक्ष्य 100 यूनिट रक्त संग्रह करना था।

संस्कृति ने हाल ही में इंटरमीडिएट (आर्ट्स) में फर्स्ट डिवीजन अंक प्राप्त किए हैं। उन्होंने कहा कि थैलेसीमिया से पीड़ित होने के कारण शरीर में हमेशा कमजोरी बनी रहती है, जिसके कारण ज्यादा देर तक पढ़ाई करना भी मुश्किल हो जाता है। बावजूद इसके उन्होंने हार नहीं मानी और कड़ी मेहनत के बल पर अच्छे अंक हासिल किए। उनका अगला लक्ष्य SSC परीक्षा पास करना है और एक बेहतर भविष्य बनाना है।

SNMMCH ब्लड बैंक के प्रभारी ने बताया कि हर दिन अस्पताल में 60 से 70 यूनिट रक्त की आवश्यकता होती है। यह जरूरत तभी पूरी हो सकती है जब आम लोग स्वेच्छा से आगे आकर रक्तदान करें। उन्होंने कहा कि थैलेसीमिया, कैंसर, डेंगू जैसे रोगों में मरीजों को नियमित रूप से रक्त की आवश्यकता पड़ती है।

समाजसेवी अंकित राजगढ़िया ने बताया कि धनबाद और आस-पास के जिलों से करीब 300 से 350 थैलेसीमिया के मरीज SNMMCH ब्लड बैंक पर ही निर्भर हैं। इनमें अधिकांश बच्चे हैं, जिन्हें हर 15 से 20 दिन में रक्त चढ़ाना पड़ता है। ऐसे में नियमित रक्तदान ही इनकी जिंदगी को बचाए रखने का सबसे बड़ा माध्यम है।

थैलेसीमिया पीड़ित होने के बावजूद अपनी मेहनत और जज्बे से इंटर आर्ट्स में प्रथम श्रेणी प्राप्त करने वाली संस्कृति आज उन तमाम लोगों के लिए प्रेरणा बन गई हैं जो स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों के कारण हार मान लेते हैं। उन्होंने कहा, मैं तो दूसरों के रक्त पर जिंदा हूं, इसलिए चाहती हूं कि लोग आगे आएं और रक्तदान करें। किसी के लिए यही सबसे बड़ी मदद हो सकती है।

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